Wednesday, August 1, 2007

DR SUMAN DUBE KI KAVITAYEN -09415209200

मुक्तक

दर्द का दिल में कोई रतन रख लिया
गीत गा गा के दुनियां का मन रख लिया
इस क़दर मुझको कांटे चुभाये गये
नाम हमने भी अपना सुमन रख लिया ॥


हम तेरी शरारत का अन्दाज़ समझते हैं
अंजाम से वाक़िफ हैं, आगाज़ समझते हैं
वो शाहजहां खुद तो बन सकते नहीं लेकिन
जो लोग मुझे अपनी मुमताज़ समझते हैं ॥


तंग दिल ज़माना है, साथ चल नहीं सकते
आग में मोहब्बत की खुल के जल नहीं सकते
हां मगर ये कहते हैं, आज हम सरे-महफिल
तुम भले बदल जाओ, हम नहीं बदल सकते ।


प्यार हो गया है तो प्यार से निभा देना
तुम उदास आंखों में, आके मुस्करा देना
ज़िन्दगी की बगिया में पतझरों का मौसम है
दिल की सूनी डाली पर इक सुमन खिला देना ।

गीत

फूल ने कहा चमन से
गंध ने कहा पवन से
तुम मिले तो सांस-सांस में, बजा सितार है ।
प्यार यही, प्यार यही, प्यार यही प्यार है ।।

बांसुरी के सात सुर मिले
तो दिल मचल गये
धूप में जो चल रहे थे
चांदनी में जल गये
किस खुशी में अंग-अंग पे चढा खुमार है ।
प्यार यही, प्यार यही, प्यार यही प्यार है ।।

प्यार में नज़र मिली तो
सबके होश खो गये
ज़िन्दगी मिली उन्हीं को
जो किसी के हो गये
धड.कनों को बार-बार, किसका इंतज़ार है ।
प्यार यही, प्यार यही, प्यार यही प्यार है ।।

एक हो गये कहीं पे
जाके ये धरा गगन
ज़िन्दगी को जी लिये
जो तुमसे हो गया मिलन
आरज़ू सुमन को, क्यूं तुम्हारी बार-बार है ।
प्यार यही, प्यार यही, प्यार यही प्यार है ।।
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गज़ल

रस्ते में कभी, गुल कभी पत्थर से मिलूंगी
दरिया हूं किसी रोज़ समन्दर से मिलूंगी ।


मत ले जा मुझे चांद सितारों के जहां में
मैं एक सुखनवर हूं , सुखनवर से मिलूंगी ।


कुल उम्र मेरी सजने संवरने में कटी है
सौ रूप में, सौ रंग में, दिलबर से मिलूंगी ।


वक़्त आने पे इस हाथ में तलवार भी होगी
पोरस की मैं बेटी हूं , सिकन्दर से मिलूंगी ।


क़द नापने वालों से, सुमन जाके ये कह दो
मिलना मुझे होगा तो बराबर से मिलूंगी ।

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भोजपुरी गीत

तोहरी पिरितिया में रंग ली उमरिया
आंख फेरि के मत जइहा हो संवरिया ।


तोहरी सनेहिया में दुनियां भुलइबै
तोहहीं के देखि देखि दिनवां बितइबै
मति जा बिदेस तोहू छोड. दा नौकरिया ।
आंख फेरि के मत जइहा हो संवरिया ।।


वो ही रे बिदेस जादूगरनी क डेरा
फंसि जइबा जदुये के जाल में मछेरा
छटपटइबै अइसे जइसे जल बिन मछरिया ।
आंख फेरि के मत जइहा हो संवरिया ।।


जब तोहूं मनबा ना जइबा बिदेसवा
बढ. जइहें जियरा के पीर औ कलेसवा
हम मरि जइबे पिया खाके महुरिया ।
आंख फेरि के मत जइहा हो संवरिया ।।

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